मातु पिता भ्राता सब कोई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
प्रतिदिन शिव चालीसा का पाठ करने से आपके जीवन की कठनाईया दूर होती हैं ।
ब्रह्म – कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट – वेषं, विभुं, वेदपारं ।
बुरी आदतें बाद मे और बड़ी हो जाती हैं - प्रेरक कहानी
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
अर्थ- हे गिरिजा पति हे, दीन हीन पर दया बरसाने वाले भगवान शिव आपकी जय हो, आप सदा संतो के प्रतिपालक रहे हैं। आपके मस्तक पर छोटा सा चंद्रमा शोभायमान है, आपने कानों में नागफनी के कुंडल डाल रखें हैं।
अर्थ- हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।
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चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
अर्थ- हे भोलेनाथ आपको नमन है। जिसका ब्रह्मा आदि देवता भी भेद न जान सके, हे शिव आपकी जय हो। जो भी इस पाठ को मन लगाकर करेगा, शिव शम्भु उनकी रक्षा करेंगें, आपकी कृपा उन पर बरसेगी।